ऋषि-मुनि कैसे करते थे लगातार 84 सालों तक साधना
अगस्त्य मुनि ने अपना पूरा जीवन साधना में बिता दिया। उन्होंने चौरासी सालों तक साधना की। यह संख्या शरीर और ब्रह्मांडीय प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने खुद को तैयार करने के लिए चेतना के सभी चौरासी पहलुओं को छुआ। उन पर मेहनत की और खुद को तैयार किया। तीव्र इच्छा, पक्का इरादा, न डिगने वाला निश्चय उनकी खूबी थी। उन्होंने बिना किसी मदद के मेहनत की और ध्यान न दिए जाने पर भी साधना करते रहे। उनकी उपलब्धि हमें बताती है कि ऋषि किसी खास तरह से पैदा नहीं हुए हैं। वे किसी भी सामान्य जगह, किसी सामान्य स्त्री की कोख से जन्मे होंगे। उन्होंने खुद अपने आप को बनाया था। उनके जीवन की कहानी और योग-साधना के बारे में यही चीज महत्वपूर्ण है। चाहे आप कोई भी हों, किसी भी तरह से पैदा हुए हों, आपके माता-पिता कोई भी हों, आपके कर्म कैसे भी हो, अगर आप इच्छुक हैं, तो आप खुद को उस ऊंचाई तक ले जा सकते हैं।
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