बहुत समय पहले की बात है, चाणक्य को मगध पर आक्रमण का मन बनाया और बहुत सुबह ही सुबह बिना किसी सोच विचार के बोला आज कौटिल्य पुत्र को बंदी बनाना है | फिर क्या था चाणक्य एक बड़ी सेना लेकर मगध पर आक्रमण कर दिया| लेकिन बिना किसी प्लान के किया गया था यह आक्रमण, फिर क्या था चाणक्य की सेना को मगध के हर किले का ज्ञान था नहीं और बस चल दिया था लड़ने | कुछ देर तो चाणक्य की सेना लड़ी उसके बाद सब भाग निकले , यहाँ तक चाणक्य को भी अपनी जान बचाकर भागना पड़ा | जब चाणक्य जान बचने के लिए जोर से भाग रहे थे तभी उनको रस्ते में एक छोटा सा घर दिखा, वह चुपके से गए और वहां चुप गए, फिर कुछ देर बाद उन्होंने वहां देखा एक बूढ़ी माँ खाना बना रही है और उसका छोटा सा बेटे का लड़का खाना खाने के लिए पागल हो रहा था |
बूढी माँ बोली कुछ टाइम रुक जा , फिर क्या था बूढी माँ ने जल्दी से खिचड़ी बनाया और बीच में घी डालकर बाहर चली गयी, इतने में वह लड़का खिचड़ी बीच से निकाल कर खाने लगा और जोर से चिल्लाने लगा | क्यकी खिचड़ी बहुत ही बीच में गरम थी | तभी बूढ़ी माँ दौर कर आयी और बोली तू भी चाणक्य हो रहा है, बिना कुछ सोचे कहने लगा | अगर तुझको गरम खिचड़ी खानी हो तो सबसे पहले किनारो से खाना सुरु करो |
बूढी माँ की यह बात सुनकर चाणक्य बाहर नकल आये और बोले हे माँ तूने मेरी आंक खोल दिया |फिर क्या था चाणक्य ने पहले मगध के किलो को बहुत कमजोर किया और उसके बाद आक्रमण कर चन्द्रगुप्त को मगध पर विजय दिलाया |
बूढी माँ की यह बात सुनकर चाणक्य बाहर नकल आये और बोले हे माँ तूने मेरी आंक खोल दिया |फिर क्या था चाणक्य ने पहले मगध के किलो को बहुत कमजोर किया और उसके बाद आक्रमण कर चन्द्रगुप्त को मगध पर विजय दिलाया |
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